हरियाणा
विजिलेंस ने पुराने केस में अधिकारी दबोचा
सत्यखबर, नूंह (ऐ के बघेल)
राज्य चौकसी ब्यूरो गुरुग्राम द्वारा जिला उद्यान अधिकारी नूंह मैं कार्यरत रहे सुभाष चंद्र को राज्य चौकसी ब्यूरो दकी टीम ने रोहतक से गिरफ्तार किया गया है। जो अभी जिला उद्यान अधिकारी पानीपत में कार्यरत है , जिनको राष्ट्रीय सूक्ष्म सिंचाई योजना में 9 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तारी के लिए विजिलेंस की टीम ने इस्पेक्टर ओमप्रकाश की अध्यक्षता में टीम बनाई गई , जिसमें रविंद्र कुमार सब इंस्पेक्टर, देवेंद्र सिंह सिपाही ,विष्णु सिपाही, व मनीष सिपाही द्वारा सुभाष चंद्र जिला उद्यान अधिकारी पानीपत को गिरफ्तार किया गया ।
आपको बता दें कि जिला उद्यान अधिकारी सुभाष चंद्र वर्ष 2011 -12 में मेवात जिले में कार्यरत थे। उस समय भारत सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई गई , राष्ट्रीय सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत मेवात के किसानों को इस योजना का लाभ पहुंचाना था , लेकिन अधिकारी की मिलीभगत होने के कारण यह योजना किसानों को ना देकर राष्ट्रीय सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत 19 फर्म पंजीकृत थी। जिसमें अधिकारी द्वारा मेवात की 2 फर्म दिहाना इंटर प्राइसेस व हारवेल अगवा प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली नामक फर्मों को 2011 -12 के दौरान 2,72,92,698 रुपए की अनुदान राशि दी गई तथा इसी प्रकार से यह सिलसिला आगे भी चलता रहा। जब ढाणा गांव के किसान इस योजना का लाभ उठाने के लिए जिला उद्यान कार्यालय नूंह में आए और उन्होंने इस योजना के बारे में जानकारी मांगी , तो गांव के 82 किसानों को यह बताया गया कि यह योजना आप लोगों ने पहले से ही ले रखी है। अब यह योजना आपको नहीं मिलेगी। जिसके बाद किसानों के पैरों तले से जमीन ही निकल गई। जब इस बारे में किसानों ने पूरी जानकारी ली , तो उन्हें पता चला कि उन किसानों की फर्जी जमीन की रजिस्ट्री राशन कार्ड लगाकर यह योजना अधिकारियों द्वारा गलत तरीके से गबन की गई है। तब सभी ग्रामीणों ने इस की विजिलेंस जांच कराने की मांग की तो , विजिलेंस द्वारा जांच मैं पाया गया कि राष्ट्रीय सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत जिन किसानों को लाभ दिया जाना था। वह लाभ किसानों को ना देकर किसानों के साथ धोखा किया गया है और योजना की राशि अधिकारियों तथा फर्म मालिकों द्वारा हड़पी गई। इसमें खास बात यह थी कि जब विजिलेंस द्वारा इसकी जांच की गई , तो उसमें पाया गया की कुछ ऐसे किसानों के नाम से भी इस योजना का लाभ लिया जा रहा था। जिनकी मृत्यु हुए 5 साल हो चुके थे। इसके अलावा कुछ ऐसे किसान थे , जिनका किसी प्रकार का कोई रिकॉर्ड नहीं था। इसके अलावा कुछ किसानों की फर्जी तरीके से जमीन की रजिस्ट्री तक लगाई हुई थी। इस तरीके से अधिकारियों तथा फर्म के मालिकों द्वारा सरकार की योजना का लाभ लिया जा रहा था। यह योजना वर्ष 2011-12 से शुरू कर वर्ष 12 -13 तक 449 फर्जी किसानों को दी गई थी। जिसमें करीब एक ही फर्म को दिहाना इंटरप्राइज को 7 करोड़ 22 लाख 31,750 रुपए की राशि के उपकरण की खरीद दिखाई गई। इसके अलावा 1,89,32,465 रुपए की राशि के उपकरण दूसरी फर्म को फर्जी तरीके से दिखाए गए। जबकि ढाणा गांव के एक भी किसान के खेत में यह उपकरण नहीं लगाए गए। जिनकी राशि विभाग के अधिकारियों वह फर्म के मालिकों द्वारा गबन की गई। यह योजना भारत सरकार द्वारा चलाई गई थी , जिसमें केंद्र सरकार 40 फीसदी राज्य सरकार 50 फीसदी अनुदान राशि देनी थी तथा 10 फीसदी की राशि किसानों को देनी थी। इस योजना में लगाए जाने वाले उपकरणों कि 3 वर्ष की फ्री सर्विस भी दी जानी थी , लेकिन किसानों के साथ अधिकारियों व फर्म मालिकों ने फर्जी तरीके से यह सब गड़बड़ घोटाला किया हुआ था। किसी को इस बारे में कुछ भी पता ना चल सके इस सारे घोटाले में जिला उद्यान अधिकारी मेवात , सहायक परियोजना अधिकारी मेवात , उद्यान विकास अधिकारी , लेखा अधिकारी तथा दिहाना इंटरप्राइजेज का मालिक शमीम , मुल्ली, ईशा, मुबीन , शौकीन मुख्य रूप से शामिल थे।